पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Environmental Pollution Essay in Hindi

क्या आप पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लिखना चाहते हैं? यदि हां तो हमने आपके लिए पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi) में लिखा है इसे लेख को अवश्य पढ़ें।

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पर्यावरण प्रदूषण परमात्माकृत नहीं अपितु मानवकृत है। जो उसने प्रगति के नाम पर किए गए आविष्कारों द्वारा निर्मित किया है ।आज जल,वायु सभी कुछ प्रदूषित हो चुका है। शोर, धुआं, आवांछनीय गैसों का मिश्रण एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह संपूर्ण मानवता के लिए एक खुली चुनौती है और एक समस्या है जो संपूर्ण मानवता के जीवन और मरण से संबंधित है इसके समक्ष मानवता बौनी बन चुकी है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (100 शब्दों मे)

पर्यावरण मानव जीवन का आधार है। एक संतुलित वातावरण मानव के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। क्योंकि इस संकलित वातावरण में जल,वायु ,भोजन आदि की सामाजिक परिस्थितिया संतुलित होती हैं , जो कि मानव को जीवन यापन में सरलता उपलब्ध कराती है ।

यदि यह संतुलित परिस्थितियां बिगड़ जाए तो पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा तथा जीव धारियों के लिए किसी ना किसी रूप में हानिकारक होगा।

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय वनों का संरक्षण है साथ ही नए गानों को लगाया जाना तथा उनका विकास करना ।जनसामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दिया जाना इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम के सरकारी कदम भी है इस बढ़ते हुए प्रदूषण के निवारण के लिए सभी लोगों में जागृति पैदा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है जिससे जानकारी प्राप्त कर वह प्रदूषण को दूर करने में अपना योगदान दे सकें।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250 शब्दों

पर्यावरण हमारे जीवन का आधार है और हम इसी में रहकर अपना संपूर्ण जीवन यापन करते हैं एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। जीव धारियों के समग्र विकास के लिए और जीवन क्रम को व्यवस्था बनाए रखने के लिए शुद्ध वातावरण का होना परम आवश्यक है,।

आज हम औद्योगिक विकास की अंधी दौड़ में इतना घुस गए हैं कि हम अपने पर्यावरण की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं एवं लगातार उसे प्रदूषित करते चले जा रहे हैं आज देश के 70% जल स्रोत दूषित हैं उनमें हर समय दो से तेजल मिलाया जा रहा है इसके अलावा मिलों की चमनिया और सड़कों पर चलने वाले वाहनों के पेट्रोल, डीजल के धुंए से कार्बन डाइऑक्साइड निकालकर वायु को प्रदूषित कर रही है जंगलों का विनाश हो रहा है मूल्यवान जीव नष्ट हो रहे हैं।

अब समय आ गया है कि हम इस समस्या पर गंभीरता से सोचें, बढ़ते हुए वाहनों में साइलेंसर आवश्यक है। गंदी नालियों की सफाई करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है, कचरे को सड़ने नहीं देना चाहिए, गटर के गंदे पानी और औद्योगिक कचरे को नदियों में नहीं बहाना चाहिए। आज हमें प्रकृति से नए सिरे से संबंध जोड़ना ही होगा क्योंकि एक उगता हुआ पेड़ प्रगतिशील राष्ट्र का प्रतीक है। परमाणु परीक्षण तुरंत रोकने की आवश्यकता है क्योंकि इससे अनेक रोग फैल रहे हैं।

आज जनसंख्या में शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण शिक्षा भी आवश्यक है ।मनुष्य पर्यावरण का दास है मित्र है मित्र का कर्तव्य है कि वह उसकी रक्षा करें। वन कार्बन डाइऑक्साइड सोकर जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, इसलिए हर आदमी वृक्षारोपण करें और उसका अपनी संतान की तरह पालन करें। हमें अपने आसपास के पर्यावरण को जितना हो सके उतना साफ सुथरा रखना चाहिए।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 300 शब्दों

पर्यावरण प्रकृति का बैंक है इस बैंक में जमा पूंजी के सहारे जिंदगी का कारोबार चलता है। पर्यावरण वह खोल है जिसमें हम घिरे हुए हैं ।पृथ्वी जल, वायु ,अग्नि आदि पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं हमारा पर्यावरण सारी प्रकृति पृथ्वी और आकाश के बीच का अंतराल है। राजनैतिक और भौगोलिक समस्याएं इसे विभाजित नहीं कर सकती हैं।

हम आ जाओ योगिक विकास कर रहे हैं। यही भी आवश्यक है परंतु मनुष्य के स्वार्थ उसकी नासमझी और प्रगति की अंधी दौड़ के कारण पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। इससे जो अनदेखी हानि हो रही है उस ओर सर्वसाधारण का ध्यान आकर्षित करना आवश्यक है।

वृक्ष हमारी सभ्यता के आधार और हम उन्हीं की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं। नदियों में औद्योगिक कचरा मिलाया जा रहा है। देश के 70% जल स्रोत प्रदूषित है। इसका प्रभाव नदियों के किनारे रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है ।इसके अलावा मिलों की चिमनियां और सड़कों पर चलने वाले पेट्रोल डीजल वाले वाहन हवा में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़कर वायु प्रदूषित कर रहे हैं।

पर्यावरण के विनाश का प्रमुख कारण बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताएं पूरी करना है इसके लिए वह प्राकृतिक संसाधनों का पूरी तरह शोषण तथा सफाया कर रहा है। गरीबी के कारण देश का एक बहुत बड़ा वर्ग इसी प्रकृति पर निर्भर है। इनके लिए पशुओं को चराने के लिए उचित प्रबंध के अभाव में 70 लाख हेक्टेयर भूमि नष्ट हो रही है‌।

कुछ लोग स्वार्थ पास जंगलों और वन्यजीवों को नष्ट कर रहे हैं। समाज मूकदर्शक बना खड़ा है ।ध्वनि प्रदूषण निरंतर बढ़ रहा है शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि से मानसिक तनाव में वृद्धि हो रही है।

अब समय आ गया है कि हम इस समस्या पर गंभीरता से सोचें। पर्यावरण ह्रास को रोकना जीवन की गुणवत्ता के लिए ही नहीं अपितु जीवन को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है ।विशेषज्ञों की राय है कि विकास और संरक्षण के बीच कोई वास्तविक विरोध नहीं है ।तर्कसंगत विकास का पर्यावरण संगठन से मेल बैठाना कठिन नहीं है। केवल अपनी आवश्यकताएं बढ़ाते जाना ही विकास नहीं है‌ पर्यावरण और मानव समाज के बीच के रिश्ते को कायम रखना भी आवश्यक है।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जनचेतना जागृत करना आवश्यक है पर्यावरण की रक्षा नवयुवकों की शिक्षा का अभिन्न अंग होना चाहिए । प्रौढ़ शिक्षा एवं विस्तार कार्यक्रमों के साथ-साथ पर्यावरण शिक्षा देना आवश्यक है। जनसंख्या और पर्यावरण के बीच गहरा रिश्ता होता है ।हमें भी अपने आसपास का पर्यावरण शुद्ध और साफ रखना चाहिए।

श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने कहा था– “धरती को केवल इतना छेड़ो की चीजें उग सके। इतना मत कुरेदो कि वह रो पड़े”

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध हिंदी में Class 12

“सॉंस लेना भी अब मुश्किल हो गया है।
वातावरण इतना प्रदूषित हो गया है।।”

प्रस्तावना

प्रदूषण पर्यावरण में फेलकर उसे प्रदूषित बनाता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है। इसलिए हमारे यहां आस-पास की बाहरी परिस्थितियां जिनमें वायु जल भोजन और सामाजिक परिस्थितियां आती हैं वह हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती हैं ।प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है जो वायु, जल, भोजन ,स्थल के भौतिक रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डाल कर उनको मनुष्य अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना डालता है।

जीव धारियों के समग्र विकास और जीवन कर्म को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए एक शोध और संतुलित वातावरण की आवश्यकता होती है अगर यह जल,वायु ,भोजनादि कहां सामाजिक परिस्थितियां अपने असंतुलित रूप में होती हैं। अथवा उनकी मात्रा कम या अधिक होती है, तो वातावरण प्रदूषित हो जाता है तथा जीव धारियों के लिए हानिकारक होता है ऐसे ही प्रदूषण कहते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

मानव आज विकास की अंधी दौड़ के नाम पर पर्यावरण को विभिन्न रूपों से प्रदूषित कर रहा है आइए इनके बारे में जानते हैं–

वायु प्रदूषण

वायुमंडल में गैस एक निश्चित अनुपात में मिश्रित होती है। और जीवधारी अपनी क्रियाओं तथा सांस के द्वारा ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन बनाए रखते हैं ।परंतु आज मनुष्य अज्ञातवास आवश्यकता के नाम पर इन सभी गैसों के संतुलन को नष्ट कर रहा है ।आवश्यकता दिखाकर भवनों को काटता है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है मिलो की चिमनिया के धुए से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड एवं अन्य विषैली गैसें वातावरण में बढ़ रही है ।

यह विभिन्न प्रकार की विषैली गैसें विभिन्न प्रकार के प्रभाव मानव शरीर पर डालती हैं। वे विभिन्न प्रकार के प्रभाव मानव शरीर पर ही नहीं वस्त्र धातु और इमारतों तक डालती है।

जल प्रदूषण

जल के बिना कोई भी जीवधारी पेड़– पौधे जीवित नहीं रह सकते ।इस जल में भिन्न भिन्न प्रकार के खनिज तत्व कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसे घुली रहती है जो एक विशेष अनुपात में होती है तो सभी के लिए लाभकारी होती है। लेकिन जब इनकी मात्रा अनुपात से अधिक हो जाती है तो जल दूषित हो जाता है और हानिकारक बन जाता है जल के प्रदूषण के कारण अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस ,औद्योगिक संस्थानों से निकलने वाले पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, खाद आदि हैं।

हमारे देश के अनेक शहरों को पेयजल निकटवर्ती नदियों से पहुंचाया जाता है और उसी नदी में आकर शहर के गंदे नाले, कारखानों का बेकार पदार्थ, कचरा आदि डाला जाता है जो पूर्णता और नदियों के जल को प्रदूषित बना देता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण

परमाणु शक्ति उत्पादन केंद्रों और परमाणु परीक्षणों से जल एवं वायु तथा पृथ्वी का संपूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है ।और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ। इसमें धातुएं पिघल जाती हैं और वायु में फेल कर उसके झोंकों के साथ संपूर्ण विश्व में व्याप्त हो जाते हैं तथा विभिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है उसकी नींद बाधित हो रही है जिससे नाड़ी संस्थान संबंधी और नींद ना आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। मोटर, कार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर ,लाउडस्पीकर ,बाजे, सायरन, और मशीनें अपनी ध्वनि से संपूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं। इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे और बहुत से पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है।

रासायनिक प्रदूषण

आज का साग अपनी कैसे की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों का कीटनाशक और रोग नाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है। जिससे वर्षा के समय इन खेतों से लेकर आने वाला जल नदियों और समुद्रों में पहुंचकर भिन्न-भिन्न जीवो के ऊपर घातक प्रभाव डालता है और उसके शारीरिक विकास पर इसका दुष्परिणाम पहुंच रहा है।

प्रदूषण की समस्या का समाधान

आज औद्योगिकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को वादी गंभीर बना दिया है इस औद्योगिकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और सामाजिक की दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक है ।भारत सरकार ने सन 1974 ई. में जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम लागू कर दिया जिसके अंतर्गत प्रदूषण को रोकने के लिए अनेक योजनाएं बनाई गई हैं।

इसका सबसे अच्छा उपाय ढूंढा गया है वनों का संरक्षण। पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए सभी लोगों में जागृति पैदा करना महत्वपूर्ण है जैसे जानकारी प्राप्त कर प्रदूषण को दूर करने के सामन्वित प्रयास किए जा सकें।

नगरों कस्बों और गांवों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए सही प्रयास किए जाएं बढ़ती हुई आबादी के निवारण के लिए समुचित और सुनियोजित भवन निर्माण की योजना प्रस्तावित की जाए।

उपसंहार

इस प्रकार सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा पर्यावरण की शुद्धि के लिए समन्वित प्रयास किए जाएंगे तो मानव समाज ‘सर्वे संतु निरामया’ वेद वाक्य क अवधारणा को विकसित करके सभी जीवन माता के सुख समृद्धि की कामना कर सकता है। बिना पर्यावरण संरक्षण के मानव समाज का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा अतः हमें अपने और अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को देखते हुए अपने पर्यावरण के प्रति सचेत रहना चाहिए।

FAQ:

सबसे ज्‍यादा प्रदूषण कहा से आता हैं?

जीवाश्‍म ईंधन के दहन मोटर वाहन उद्योगों से सबसे अधिक प्रदूषण होता हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्‍या हैं? और इसके प्रकार?

जब पर्यावरण में कुछ ऐसे तत्‍व आकर मिल जाते हैं, जिससे पर्यावरण में रह रहे जीव जंतुओ तथा वनस्‍पतियों पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं उस स्थिति को पर्यावरण प्रदूषण कहा जाता हैं। और यह मुख्‍य रूप से पॉंच प्रकार के होते हैं – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्‍वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और रासायनिक प्रदूषण आदि

वायु प्रदूषण के मुख्‍य कारक क्‍या हैं?

ऑक्‍साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्‍प कणिकाएं, धुंआ इत्‍यादि वायु प्रदूषण का मुख्‍य कारक हैं।

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निष्‍कर्ष

तो आप सभी को “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Environmental Pollution Essay in Hindi” के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त हो गई होगी। हमें पूरी उम्‍मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्‍न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्‍ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्‍तों के साथ जरूर शेयर करें।

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