विश्वकर्मा पूजा पर निबंध | Essay on Vishwakarma Puja in Hindi

विश्वकर्मा पूजा को विश्वकर्मा दिवस या जयंती भी कहा जाता है विश्वकर्मा जयंती को प्रतिवर्ष सितंबर के महीने में उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह दिन लगभग पूरे भारत में विधि के अनुसार मनाया जाता है। इस दिन सबसे बड़े वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है ।

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इतिहास के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को देव शिल्पी यानी कि देवताओं के वास्तुकार के रूप में पूजा जाता है त्रिलोक और त्रिपक्षीय उन्हें त्रिलोका या त्रिपक्षीय युग का भी निर्माता माना जाता है ।साथ ही विश्वकर्मा जी ने अपने शक्ति से देवताओं के उड़ान रथ ,महल और हाथियों का भी निर्माण किया था यहां तक की यह भी माना जाता है कि इंद्र का महा अस्त्र जो ऋषि दधिचि के हड्डियों से बना हुआ था वह भी विश्वकर्मा भगवान द्वारा ही बनाया गया था।

विश्वकर्मा पूजा पर निबंध | Essay on Vishwakarma Puja in Hindi

Table of Contents

विश्वकर्मा पूजा पर निबंध 100 शब्दों में (Essay on Vishwakarma Puja in Hindi)

भगवान विष्णु को न केवल स्वर्ग बल्कि संपूर्ण सृष्टि का निर्माता माना जाता है, वे सत्य युग में सोने के लंका में रहते थे, जहां “असुर राजा रावण” त्रेता युग में द्वारका शहर में रहते थे, जहां “श्री कृष्ण” रहते थे, द्वापर युग में हस्तिनापुर शहर का निर्माण किया गया था। “पांडवों और कौरवों” का राज्य सभी निर्माता देवताओं को ही माना जाता है।

भगवान विश्वकर्मा जी की उत्पत्ति: ब्रह्मा के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तु देव उत्पन्न हुए थे,उन्ही वास्तुदेव की अंगिरसी पत्नी से विश्वकर्मा का जन्म हुआ। पिता की ही भांति पुत्र विश्वकर्मा वास्तुकला के अद्वितीय आचार्य, आदि अभियंता,आदि विशेषणों से विभूषित हैं।

भारत को त्योहारों की भूमि माना जाता है और अन्य देशों में विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाये जाते हैं। प्रत्येक त्यौहार के पीछे एक महत्वपूर्ण घटना होती है। भगवान विष्णु का एक लोकप्रिय त्योहार है, यह हर साल बड़े पैमाने पर हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा एक महत्वपूर्ण त्यौहार है इस दिन को देवता विश्वकर्मा का जन्मदिन माना जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर साल 16 से 18 सितंबर के बीच किसी भी तारीख को विश्वकर्मा पूजा आती है यह त्योहार भारत के उत्तर प्रदेश ,कर्नाटक ,बिहार, पश्चिम बंगाल ,त्रिपुरा ,उड़ीसा ,झारखंड ,असम और नेपाल राज्य में मनाया जाता है।

विश्वकर्मा पूजा पर निबंध 250 शब्दों में

भगवान विश्वकर्मा को पूरी दुनिया का इंजीनियर कहा जाता है उन्हें सभी देवताओं के वाहनों महलों और हथियारों के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। पूजा मुख्य रूप से सभी उद्योगों और दुकानों में आयोजित की जाती है भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को अच्छे से सजाया जाता है और लोगों द्वारा उनकी पूजा की जाती है। इस दिन सभी कारीगरों और एक कुशल श्रमिकों के लिए महत्व रखता है।

भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड में हर चीज का वास्तुकार माना जाता है वह वास्तु कला इंजीनियरिंग और सभी शिल्पकार समुदाय के लिए एक प्रेरणा है इस दिन उद्योगों कारखाने दुकानों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है लोग अच्छे कार्य क्षमता की का आशीर्वाद देने के लिए भगवान विश्वकर्मा से प्रार्थना करते हैं जिससे उद्योगों की उत्पादकता बढ़ाने और उन्हें अपने काम में सफल बनाने का आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

विश्वकर्मा पूजा के दिन कारखाने उद्योग विभिन्न कारीगरों की दुकान बंद रहती है ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन औजारों को काम में नहीं लाया जाता, बल्कि उनकी पूजा की जाती है इस अवसर पर लोगों द्वारा भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति के साथ-साथ औजारों की भी पूजा की जाती है।

इस खूबसूरत रचना को याद करने और भगवान को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हर साल विश्वकर्मा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है ऋग्वेद में उन्हें दिव्य बढ़ई कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि उन्हें यांत्रिकी और वास्तुकला का विज्ञान उपहार में मिला था।

विश्वकर्मा पूजा कारीगरो ,शिल्पकार और इंजीनियरों के लिए बहुत महत्व रखती है क्योंकि वे अपने कौशल को बढ़ाने और अपने रचनाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए भगवान विश्वकर्मा को का आशीर्वाद मांगते हैं ,ऐसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से व्यक्ति नवीन और दोष रहित शिल्प कौशल के लिए दिव्य मार्गदर्शन और प्रेरणा प्राप्त कर सकता है पूजा उन उपकरणों और मशीनों के प्रति आभार व्यक्त करने का भी एक अवसर है जो विभिन्न व्यवसाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विश्वकर्मा पूजा पर निबंध 500 शब्द में (Essay on Vishwakarma Puja in Hindi)

विश्वकर्मा पूजा/जयंती हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है, जो ब्रम्हांड के दिव्य वास्तुशिल्प और शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में बनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से भारत और नेपाल के शिल्पकारों, कलाकारों और

भगवान विष्णु की जयंती की विधि:

भगवान विष्णु की जयंती के दिन अपने घर का साफ-सफाई और स्नानघर का साफ-सफाई से कर लो उसके बाद स्नान करके सुथरा कपड़े पहने लें। स्थल पर पूजा करने के लिए उसे उस स्थान पर गंगाजल का मिश्रण करें या साफ पानी से और गाय के गोबर से उस स्थान को पवित्र करें उसके बाद वहां के सूखे आटे पर जिस पीले रंग का कपड़ा बिछाए और उसे उस पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं, भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें।

इसके बाद स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु और भगवान भगवान विश्वकर्मा जी की मूर्ति या फोटो लगाये। अगरबत्ती जलाएं और घी का दीपक जलाकर चौकी पर रखे भगवान विष्णु और ऋषि विश्वकर्मा जी के मस्तिष्क पर तिलक लगाएं, विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को प्रणाम करते हुए उनका स्मरण करें यहां साथ ही प्रार्थना करें कि वह आपको नौकरी व्यापार में तरक्की करवाऐ , विश्वकर्मा जी के मंत्र का 108 बार जाप करें फिर श्रद्धा से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद विश्वकर्मा जी की आरती करें .आरती के बाद उन्हें फल मिठाई का भोग लगाकर सभी लोगों को प्रसाद बांटे।

विश्वकर्मा पूजा का शुभ उत्सव :

पंचांग के अनुसार 17 सितंबर 2013 को मनाया जाएगा। वैसे तो पूरा दिन देव शिल्पी भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी लेकिन शुभ महोत्सव के लिए 17 सितंबर की सुबह 10बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 12बजकर 26मिनट तक रहेंगा।

विश्वकर्मा पूजा का महत्व:

शिल्प ज्ञान के बिना निर्माण कार्य संभव कैसे हैं? निर्माण के बिना विकास भी कहां हो सकता है? विज्ञान के बिना दुनिया तरक्की नहीं कर सकती। इस दिन सभी कारखानों और औद्योगिक साधनों में लगी हुई मशीनो की पूजा की जाती है ।इस दिन वाहन पूजा का भी विधान है, है कि इस दिन में भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करने से सभी भक्तो की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और साथ ही व्यापार में उन्नति और तरक्की की प्राप्त होती है।

भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से हमारे अंदर ऊर्जा का संचार होता है और मन को सुख और शांति अनुभव होता है ।

धार्मिक मान्यता: विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होती है हम जिन्हे जगत के निर्माण करता और सर्वोच्च शिल्पकार माना जाता है इस पूजा के माध्यम से लोग उन्हें प्रसन्न करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

औद्योगिक मान्यता : विश्वकर्मा पूजा उद्योग उत्तम उत्पादन और कारीगरी समृद्धि का प्रतीक है इस दिन उद्योगपतियों और व्यापारियों ने अपने कारोबार को आशीर्वाद और समृद्धि के लिए विश्वकर्मा पूजा करते हैं।

सामाजिक एकता: विश्वकर्मा पूजा में सभी लोग सामाजिक रूप से एकता का संकेत करते हैं। इस दिन लोग साथ मिलकर पूजा , प्रदर्शन और उत्सवों का आयोजन करते हैं,जो सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है।समाज के लोगो में बीच में एकता प्यार और सम्मान को बढ़ाता है

भगवान विश्वकर्मा जयंती से सम्बंधित कहानी

ब्रह्माण्ड और त्रिशंकु: इस कथा में बताया जाता है कि एक बार विश्वकर्मा और उनके पुत्र त्रिशंकु भगवान शिव के द्वारा नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता में भाग लेते हैं। प्रतियोगिता में विश्वकर्मा विशाल औज़ार बनाते हैं जबकि त्रिशंकु एक साधारण लकड़ी के टुकड़े से शिवलिंग बनाते हैं। शिव त्रिशंकु को पराजित करने के लिए उत्साहित होते हैं क्योंकि उनके अनुसार सरलता और सादगी में संपूर्णता होती है।

विश्वकर्मा और असुर दानव: विश्वकर्मा द्वारा निर्मित स्वर्ग की उच्चतम स्तर पर विराजमान नगरी त्रिपुर संग्राम करती है ।असुर दानव राजा महिषासुर, शुक्राचार्य और तारकासुर द्वारा नियंत्रित यह नगरी देवताओं के लिए खतरे की घटना बन जाती है। भगवान विष्णु की सहायता से भगवान विष्णु की सहायता से असुरों को मुक्ति मिलती है और शांति स्थापित होती है।

विश्वकर्मा और रथकार : एक बार विश्वकर्मा और उनके पुत्र रथकार के निर्माण में लगे होते हैं एक दिन उन्हें पता चलता है कि उनके रथों को चलाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण घोड़े उनकी रथो को छूने के लिए पैदा नहीं हुए। विश्वकर्मा और रथकार का भगवान गणेश की आराधना करते हैं और उनसे बिना घोड़े के रथ है को चलाने के उपाय पूछते हैं गणेश उन्हें एक हाथी की नियुक्ति करते हैं जो रथ को आसानी से चला सकता है।

भगवान विश्वकर्मा जयंती की परंपराएं और रीति- रिवाज

पूजा- अर्चना :

विश्वकर्मा जयंती के दिन लोग अपने घरों और कार्य स्थलों में विश्वकर्मा देवता की पूजा अर्चना करते हैं पुरानी मशीन उपकरण यंत्रों आदि को सजाकर उनकी पूजा करते हैं पूजा के समय विश्वकर्मा देवता के व्रत कथा और उनके गुणों का उच्चारण किया जाता है।

विश्वकर्मा मंदिर दर्शन:

लोग विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा मंदिर में जाकर देवता की पूजा करते हैं । कुछ स्थानों पर विश्वकर्मा मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना आयोजित की जाती है और भक्तों को प्रसाद भी बांटा जाता है।

विश्वकर्मा पूजा मेला: कुछ स्थानों पर विश्वकर्मा जयंती पर मेला आयोजित किया जाता है ऐसे मेले में विश्वकर्मा देवता की मूर्ति को सजाकर पूजा की जाती है और विभिन्न प्रकार के व्यापारिक गतिविधियों और मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

शिल्पकारों का सम्मान :

विश्वकर्मा जयंती पर शिल्पकारों को सम्मानित किया जाता है इस दिन लोग अपने आदर्श शिल्पकारों को पुरस्कार देकर उनका सम्मान करते हैं।

समुद्री यात्रा :

कुछ स्थानों पर विश्वकर्मा जयंती के दिन नदी या समुद्र की यात्रा की जाती है लोग नाम और जहाज को सजाकर उन्हें पानी में ले जाते हैं और विश्वकर्मा देवता की पूजा करते हैं।

उपसंहार

विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा करने से व्यापार के वृद्धि और उन्नति होती है। इस दिन जगह -जगह पर मंदिरों में भगवान विश्वकर्मा जी की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है। और विधिवत पूजा अर्चना कर कुमकुम हल्दी का तिलक लगाकर, तरह तरह के भोग आदि लगाकर था आरती करके पूजा सम्पन्न करते है ।कई – कई शहरों में तो भगवान विश्वकर्मा जी का भव्य समारोह आयोजित किया जाता है तथा रेलियां भी निकाली जाती है ।

विश्वकर्मा पूजा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नही है बल्कि,दुनिया में मौजूद कौशल और शिल्प कौशल के लिए एक श्रद्धांजलि भी है । यह त्यौहार कार्य के हर क्षेत्र में नवाचार और उत्कृष्टता को अपनाने के महत्त्व को याद दिलाता है ।

FAQs:

प्रश्न 1- विश्वकर्मा पूजा क्या है?

उत्तर – निर्माता भगवान के नाम से जाने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन को विश्वकर्मा पूजा कहा जाता है।

प्रश्न 2 – भगवान विश्वकर्मा को कौन सी उपाधि दी गई है?

उत्तर – भगवान विश्वकर्मा को शिल्पकार और वास्तुकार का देवता कहा गया है।

प्रश्न 3 भारत में कहां विश्वकर्मा पूजा भव्य तरीके से मनाई जाती है?

उत्तर – विश्वकर्मा पूजा भारत के पूर्वी हिस्से में बहुत ही भव्य तरीके से मनाई जाती है।

प्रश्न 4 – भगवान विश्वकर्मा के पिता किसे कहा जाता है?

उत्तर – भगवान ब्रह्मा को भगवान विश्वकर्मा का पिता कहा जाता है।

प्रश्न 5 – द्वापर युग में भगवान विश्वकर्मा ने किस सुन्दर संरचना का निर्माण किया था?

उत्तर – द्वापर युग में भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्माण की हुई सबसे सुंदर संरचना “द्वारका “थी।

प्रश्न 6 विश्वकर्मा पूजा का अर्थ क्या है?

उत्तर – भगवान विश्वकर्मा और अस्त्र-शस्त्रों, गाड़ी , वाहनों ,दुकानों कारखानों , उद्योगों , फैक्ट्रियों आदि की पूजा की जाती है ।

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