Vipsha Alankar Kise Kahte Hain – विप्सा अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण
पाठकों आज हम बात करने वाले हैं Vipsha Alankar के बारे में और जानेंगे विप्सा अलंकार किसे कहते हैं और विप्सा अलंकार के उदाहरण। दरअसल अलंकारों को उनकी प्रकृति के अनुसार दो भागों शब्दालंकार और अर्थालंकार में विभाजित किया गया हैं। चूँकि विप्सा अलंकार की प्रकृति शाब्दिक हैं। अत: यह अलंकार शब्दालंकार के अंतर्गत आता हैं।
विप्सा अलंकार किसे कहते हैं?
जब दुख, आश्चर्य, आदर, हर्ष, शोक इत्यादि जैसे विस्मयादिबोधक भावों को व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति की जाए तब उसे ही विप्सा अलंकार कहते हैं।
उदाहरण
हा! हा! इन्हें रोकन कौं टोक न लगावौ तुम
विसद-विवेक ज्ञान गौरव-दुलार हौ।
इस उदाहरण में ‘हा’ शब्द की आवृत्ति द्धारा गोपियों के विरह की तीव्रता को प्रकट किया गया हैं अत: यहां विप्सा अलंकार हैं।
विप्सा का अर्थ
जहॉं शब्द की बार-बार आवृत्ति हो किंतु उसकी अर्थ भिन्नता ना हो वहां विप्सा माना जाता हैं। विप्सा का अर्थ की आवृत्ति
विप्सा अलंकार के उदाहरण
1. मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।
2. मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।
3. उठा लो ये दुनिया, जला दो ये दुनिया।
तुम्हारी हैं तुम ही सम्हालो ये दुनिया
4. चिता जलाकर पिता की, हाय-हाय मैं दीन।
नहा नर्मदा में हुआ, यादों मे तल्लीन।।
6. जांति पॉंति हमतैं बड़ नाहीं, नाहिंन बसत तुम्हारी छैयॉं।
7. सुखी रहें, सब सुखी रहें बस छोड़ो मुझ अपराधी को।
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निष्कर्ष
तो आप सभी को “विप्सा अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण” के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। हमें पूरी उम्मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।