वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण | Vakrokti Alankar in Hindi
पाठकों आज हम बात करने वाले हैं वक्रोक्ति अलंकार के बारे में और जानेंगे Vakrokti Alankar किसे कहते हैं और वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण। दरअसल अलंकारों को उनकी प्रकृति के अनुसार दो भागों शब्दालंकार और अर्थालंकार में विभाजित किया गया हैं। चूँकि वक्रोक्ति अलंकार की प्रकृति शाब्दिक हैं। अत: यह अलंकार शब्दालंकार के अंतर्गत आता हैं।
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वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा (Vakrokti Alankar Ki Paribhasha)
वक्रोक्ति शब्द ‘वक्र उक्ति के योग से बना हैं, जिसका अर्थ हैं टेढ़ा कथन अर्थात जब वक्ता के द्धारा कहे गये किसी वाक्य या कथन का श्रोता द्धारा अन्य अर्थ ग्रहण कर लिया जाता हैं तो वहॉं वक्रोक्ति अलंकार माना जाता हैं।
अर्थात जब किसी व्यक्ति के एक अर्थ में कहे गये शब्द या वाक्य का कोई अन्य व्यक्ति जान बूझकर दूसरा अर्थ कल्पित करें वहॉं वक्रोक्ति अलंकार होता हैं।
इसमें चार बातों का होना आवश्यक हैं –
- वक्ता की एक उक्ति
- उक्ति का अभिप्रेत अर्थ होना चाहिए
- श्रोता उसका कोई दूसरा अर्थ लगाये
- श्रोता अपने लगाये अर्थ को प्रकट करें
उदाहरण
एक कबूतर देख हाथ में पूछा, कहॉं अपर हैं?
उसने कहा, ‘अपन’ कैसा? वह उड़ गया सपर हैं।
वक्रोक्ति अलंकार के भेद
वक्रोक्ति अलंकार के भेद निम्नलिखित हैं.
- काकु-वक्रोक्ति
- श्लेष वक्रोक्ति
काकु-वक्रोक्ति अलंकार
जहॉं पर उच्चारण के कारण श्रोता वक्ता की बात का गलत अर्थ निकाल लेता हैं, वहॉं काकु वक्रोक्ति अलंकार होता हैं।
काकु वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण
- “उसने कहा जाओ मत, बैठो यहॉं।
मैंने सुना जाओ, मत बैठो यहॉं।” - कह अंगद सलज्ज जग माहीं। रावण तोहि समान कोउ नाहीं।
- कह कपि धर्मसीलता तोरी। हमहुँ सुनी कृत परतिय चोरी।।
श्लेष वक्रोक्ति अलंकार
जहॉं एक शब्द का दो अर्थ होने के कारण श्रोता, वक्ता की बात का गलत अर्थ निकाल लेता हैं, वहॉं श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता हैं।
श्लेष वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण
- “कौन द्धार पर, राधे मैं हरि।
- क्या कहा यहॉं? जाओ वन में। ””
- एक कबूतर देख हाथ में पूछा, कहॉं अपर हैं?
उसने कहा, ‘अपन’ कैसा? वह उड़ गया सपर हैं।
वक्रोक्ति अलंकार के सरल उदाहरण
मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू
कह कपि धर्मसीलता तोरी। हमहुँ सुनी कृत परतिय चोरी।
को तुम हौ इत आये कहॉं घनस्याम हौ तौ कितहूँ बरसो।
चितचोर कहावत हैं हम तौ तहां जाहुं जहॉं धन सरसौं।।
कौन द्धार पर, राधै मैं हरि। हरि का क्या काम यहॉं।।
वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण
एक कह्यो वर देत सिव, भाव चाहिए मीत।
सुनि कह कोउ, भोले भवहिं भाव चाहिए मीत।।
भिक्षुक गो कित को गिरिजे।
सो तो मॉगन को बलिद्धार गयो री।।
राम साधु तुम साधु सुजाना।
राम मातु भलि मैं पहिचाना।।
हरि! अम्बर देहु हमें कर में,
गहिये किन जो कर में नभ आवै।
FAQ:
छोटी वक्रोक्ति क्या हैं?
गणनीय संज्ञा। वक्रोक्ति किसी चीज के बारे में एक छोटी और महत्वहीन शिकायत हैं। ये छोटी-मोटी गालियां हैं। पर्यायवाची: आपत्ति, शिकायत, निगल, विरोध वक्रोक्ति के अधिक पर्यायवाची।
वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा क्या हैं?
वक्रोक्ति शब्द ‘वक्र उक्ति के योग से बना हैं, जिसका अर्थ हैं टेढ़ा कथन अर्थात जब वक्ता के द्धारा कहे गये किसी वाक्य या कथन का श्रोता द्धारा अन्य अर्थ ग्रहण कर लिया जाता हैं तो वहॉं वक्रोक्ति अलंकार माना जाता हैं।
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निष्कर्ष
तो आप सभी को “वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण ”के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। हमें पूरी उम्मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।