उपमा अलंकार किसे कहते हैं? परिभाषा और उदाहरण | Upma Alankar Ki Paribhasha
नमस्कार पाठकों! आज हम बात करने वाले हैं “Upma Alankar Ki Paribhasha” के बारे में। अलंकार वह तत्व होते हैं जो किसी भी काव्य की शोभा को बढ़ा देते हैं। प्रकृति के अनुसार यह दो प्रकार के होते हैं – शब्दालंकार व अर्थालंकार। उपमा अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता हैं। आज के इस लेख में हम उपमा अलंकार की परिभाषा व उदाहरण से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी आपको प्रदान करेंगे। तो आप इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें
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उपमा अलंकार का अर्थ (Upma Alankar ka Arth)
उपमा शब्द दो शब्दों उप + मा से मिलकर बना हैं। उप का अर्थ होता हैं ‘पास या निकट से, और मा शब्द का अर्थ हैं ‘देखना या तुलना करना’। अर्थात उपमा का अर्थ हैं किसी व्यक्ति या वस्तु को दूसरी वस्तु या व्यक्ति के बीच समानता दिखाई जाती हैं उसे उपमा कहते हैं।
अभी तक की जानकारी अगर आपको अच्छी लगी हैं तो इसे अंत का जरूर पढ़ें –
उपमा अलंकार किसे कहते हैं?
जहॉं किसी वस्तु या व्यक्ति की किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से समान गुण धर्म के आधार पर तुलना की जाए या समानता बताई जाए, वहां उपमा अलंकार होता हैं।
अथवा
जब किन्हीं दो वस्तुओं के गुण आकृति स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दोनों भिन्न वस्तुओं की तुलना की जाए तब वहां उपमा अलंकार होता हैं।
जैसे- “राधा के चरण गुलाब के समान कोमल हैं।”
अर्थ: यहां राधा के चरण की तुलना या समानता गुलाब से दिखाई गई हैं। इसलिए यहां उपमा अलंकार हैं।
उपमा अलंकार के अंग (Upma Alankar Ke Bhed)
उपमा अलंकार के मुख्य चार अंग हैं जो एक उपमा अलंकार के लिए आवश्यक होते हैं।
- उपमेय
- उपमान
- वाचक शब्द
- साधारण धर्म
- उपमेय:- उपमेय का मतलब होता हैं- उपमा देने के योग्य। यदि जिस वस्तु की समानता किसी दूसरी वस्तु से की जाये तब वहॉं पर उपमेय होता हैं।
- उपमान:- उपमेय की उपमा जिस से दी जाती हैं उसे उपमान कहते हैं। अर्थात उपमेय की जिसके साथ समानता बताई जाती हैं उसे उपमान कहते हैं।
- वाचक शब्द:- जब उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती हैं तब उस समय जिस शब्द का प्रयोग किया जाता हैं उसे वाचक शब्द कहते हैं।
- साधारण धर्म:- दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जब किसी ऐसे गुण या धर्म की सहायता ली जाती हैं जो दोनों में वर्तमान स्थिति में हो उसी गुण या धर्म को साधारण धर्म कहते हैं।
उपमा अलंकार के प्रकार (Upma Alankar Ke Bhed)
उपमा अलंकार के दो भेद होते हैं-
- पूर्णोपमा अलंकार
- लुप्तोपमा अलंकार
पूर्णोपमा अलंकार – जिन पंक्तियों में उपमा के चारो अंग उपस्थित होते हैं वहां पूर्णोपमा अलंकार होता हैं।
जैसें – उर विहग सा उड़ रहा हैं, नील गगन के बीच।
लुप्तोपमा अलंकार – जिन पंक्तियों में उपमा के चारों अंग नहीं होते हैं वहां लुप्तोमा अलंकार होता हैं।
जैसें – कल्पना सी अतिशय कोमल।
उपमा अलंकार के उदाहरण
1.
हरि पद कोमल कमल
2.
कर कमल-सा कोमल हैं
3.
पीपर पात सरिस मन डोला।
4.
मुख चन्द्रमा-सा सुन्दर हैं।
5.
नील गगन-सा शांत ह्दय था रो रहा।
6.
मसक समान रूप कपि धरहीं।
7.
माणिक समान नयन प्रभु के हैं दिख रहे।
8.
चॉंद जैसे मुखड़े पे बिंदिया सितारा।
9.
तब तो बहता समय शिला सा जम जाएगा।
10.
गर्जा मर्कट काल समाना
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निष्कर्ष
तो आप सभी को “Upma Alankar Ki Paribhasha ”के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। हमें पूरी उम्मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।