रूपक अलंकार किसे कहते हैं उदाहरण सहित | Rupak Alankar Kise Kahate Hain
पाठको! स्वागत हैं आज के इस आर्टिकल में हम रूपक अलंकार के बारे में पढ़ेंगे, साथ ही रूपक अलंकार की परिभाषा और रूपक अलंकार के उदाहरण भी देखेंगे तो चलिए विस्तार से जानते हैं – Rupak Alankar Kise Kahate Hain.
रूपक अलंकार की परिभाषा
जब गुण की अत्यंत समानता की वजह से उपमेय को ही उपमान बता दिया जाता हैं. यानी उपमेय और उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता हैं। दूसरे शब्दों में जहॉं किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता हैं। यह अलंकार Hindi Grammar के Alankar के भेदों में से एक हैं।
अथवा
जिस अलंकार में उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे तब वहॉं रूपक अलंकार होता हैं।
रूपक अलंकार के उदाहरण
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
अर्थ:- उदाहरण में राम रतन को ही धन बता दिया गया हैं। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप हैं एवं दोनों में अभिन्नता हैं।
गोपी पद-पंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे।
अर्थ – उदाहरण में पैरों को ही कमल बता दिया गया हैं। ‘पैरों’ – उपमेय पर ‘कमल’ – उपमान का आरोप हैं। उपमेय और उपमान में अभिन्नता दिखाई जा रही हैं।
वन शारदी चन्द्रिका-चादर ओढ़े।
अर्थ – चॉंद की रोशनी को चादर के समान ना बताकर चादर ही बता दिया गया हैं। इस वाक्य में उपमेय – ‘चन्द्रिका’ हैं एवं उपमान – ‘चादर’ हैं।
प्रभात यौवन हैं वक्ष सर में कमल भी विकसित हुआ हैं कैसा।
अर्थ – यहॉं यौवन में प्रभात का वक्ष में सर का निषेध रहित आरोप हुआ हैं। यहां पर देख सकते हैं कि उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही हैं।
रूपक अलंकार के प्रकार
रूपक अलंकार के प्रकार निम्नलिखित हैं –
- सम रूपक अलंकार
- अधिक रूपक अलंकार
- न्यून रूपक अलंकार
सम रूपक अलंकार
जिस रूपक अलंकार में उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती हैं वहॉं पर सम रूपक अलंकार होता हैं।
जैसें –
बीती विभावरी जागरी
अंबर-पनघट में डुबा रही, ताराघट उषा-नागरी।
अधिक रूपक अलंकार
जिस रूपक अलंकार में उपमेय में उपमान की तुलना में कुछ न्यूनता का बोध होता हैं वहॉं पर अधिक रूपक अलंकार होता हैं।
न्यून रूपक अलंकार
जिस रूपक अलंकार में उपमान की तुलना में उपमेय को न्यून दिखाया जाता हैं वहॉं पर न्यून रूपक अलंकार होता हैं।
जैसें –
जनम सिंन्धु विष बन्धु पुनि, दीन मलिन सकलंक
सिय मुख समता पावकिमि चन्द्र बापुरो रंक।।
रूपक अलंकार के 10 उदाहरण
उदित उदयगिरी-मंच पर, रघुवर बाल-पतंग।
विकसे संत सरोज सब हर्षें लोचन भंग।।
शशि-मुख पर घूँघट डाले अंचल में दीप छिपाये।
मन-सागर, मनसा लहरि, बूड़े-बहे अनेक।
विषय-वारि मन-मीन भिन्न नहिं होत कबहुँ पल एक।
‘अपलक नभ नील नयन विशाल’
सिर झुका तूने नीयति की मान ली यह बात।
स्वयं ही मुरझा गया तेरा ह्दय-जलजात।।
मुनि पद कमल बंदि दोउ भ्राता।
बंद नहीं, अब भी चलते हैं नियति नटी के क्रियाकलाप।
सिंधु-बिहंग तरंग-पंख को फड़काकर प्रतिक्षण में।
भजमन चरण कँवल अविनाशी।
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निष्कर्ष
तो आप सभी को “रूपक अलंकार किसे कहते हैं उदाहरण सहित | Rupak Alankar Kise Kahate Hain ”के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। हमें पूरी उम्मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।