पुनरूक्ति अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

पाठकों आज हम बात करने वाले हैं पुनरूक्ति अलंकार के बारे में और जानेंगे पुनरूक्ति अलंकार किसे कहते हैं और पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार के उदाहरण। दरअसल अलंकारों को उनकी प्रकृति के अनुसार दो भागों शब्‍दालंकार और अर्थालंकार में विभाजित किया गया हैं। चूँकि पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार की प्रकृति शाब्दिक हैं। अत: यह अलंकार शब्‍दालंकार के अंतर्गत आता हैं।

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पुनरूक्ति अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

पुनरूक्ति अलंकार की परिभाषा

पुनरूक्ति दो शब्‍दों के योग से बना हैं पुन्‍न उक्ति, अत: वह उक्ति जो बार-बार प्रकट हो। जिस वाक्‍य में शब्‍दों की पुनरावृत्ति होती हैं वहां पुनरूक्ति अलंकार माना जाता हैं। जिस काव्‍य में क्रमश: शब्‍दों की आवृत्ति एक समान होती हैं, किंतु अर्थ की भिन्‍नता नहीं होती वहां पुनरूक्ति अलंकार माना जाता हैं।

अथवा

जहॉं एक शब्‍द दो या इससे अधिक बार होता हैं और ऐसा होने से ही अर्थ में रूचिरता बढ़ जाती हैं। वहॉं पुनरूक्तिप्रकाश अलंकार होता हैं।

जैसें-

डाल-डाल अली-पिक के गायन का समां बंधा।

पुररूक्ति प्रकाश अलंकार के उदाहरण

मधुर वचन कहि-कहि परितोषीं।

ऊपर दिए गए वाक्‍य में कहि शब्‍द का एक से अधिक बार प्रयोग किया गया हैं। जिसके कारण काव्‍य में सुंदरी की वृद्धि हुई हैं जिससे यहां पुनरूक्ति अलंकार माना जाएगा।

सुबह-सुबह बच्‍चे काम पर जा रहे हैं।

ऊपर दिए गए वाक्‍य में सुबह शब्‍द का मतलब एक ही हैं जबकि यहां इस शब्‍द का दो बार प्रयोग हुआ हैं। अत: यह पुररूक्ति प्रकाश अलंकार माना जाएगा।

सूरज है जग का बुझा-बुझा

यहां बुझा-बुझा शब्‍द दो बार आया है किंतु अर्थ की समानता हैं।

खड़-खड़ करता करताल बजाता

खड़-खड़ शब्‍द की आवृत्ति एक से अधिक बार हुई हैं किंतु अर्थ में कोई भी नेता नहीं होने के कारण पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार हैं।

आम से मीठा-मीठा रस टपकता हैं।

यहां भी मीठा शब्‍द का प्रयोग दो बार हुआ हैं किंतु अर्थ एक ही हैं।

पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार के महत्‍वपूर्ण उदाहरण

थी ठौर-ठौर विहार करती सुन्‍दर सुरनारियॉं।

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।

जुगन-जुगन समझावत हारा, कहा न मानत कोई रे।

ठुमुकि-ठुमुकि रूनझुन धुनि-सुनि, कनक अजिर शिशु डोलत।

शांत सरोवर का डर किस इच्‍छा से लहरा कर हो उठा चंचल-चंचल

यमक अलंकार तथा पुनरूक्ति अलंकार में अंतर

दोनों अलंकारों में काफी समानता होती हैं क्‍योंकि दोनों अलंकारों में बार-बार शब्‍दों की पुनरावृत्ति होती हैं लेकिन दोनों अलंकार की शब्‍दों की पुनरावृत्ति में सूक्ष्‍म अंतर होता हैं।

यमक अलंकार में शब्‍दों की पुनरावृत्ति आवृत्ति होने पर उनके अर्थ की भिन्‍नता पायी जाती हैं।

जैसे – कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय

यहॉं कनक शब्‍द दो बार प्रयोग हुआ हैं जिसमें एक का अर्थ स्‍वर्ण दूसरे का अर्थ धतूरा हैं।

वहीं पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार में शब्‍दों की आवृत्ति दो या अधिक बार होती हैं किंतु अर्थ की भिन्‍नता नहीं पायी जाती हैं।

जैसे – थी ठौर-ठौर विहार करती सुन्‍दर सुरनारियॉं।

इसमें ठौर-ठौर शब्‍द दो बार आया हैं किंतु अर्थ की भिन्‍नता नहीं हैं अत: पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार हैं।

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निष्‍कर्ष

तो आप सभी को “पुनरूक्ति अलंकार की परिभाषा और उदाहरण” के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त हो गई होगी। हमें पूरी उम्‍मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्‍न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्‍ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्‍तों के साथ जरूर शेयर करें।

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