Prabandh Kavya – प्रबंध काव्‍य की परिभाषा एवं उनके प्रकार

आज के इस लेख में मैं आप सभी को Prabandh Kavya से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान किया जाएगा। इसलिए आप सभी से निवेदन हैं कि आप हमारे आज के इस उपयोगी पोस्‍अ के अंत तक बने रहें। तो चलिए सबसे पहले प्रथम काव्‍य के बारे में जानते हैं।

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Prabandh Kavya - प्रबंध काव्‍य की परिभाषा एवं उनके प्रकार

प्रबंध काव्‍य किसे कहते हैं?

प्रबंधकाव्‍य काव्‍य की वह रचना होती हैं जिसमें कथा या घटना क्रम में चलती हैं. इन रचनाओं में क्रम बीच में नहीं टूटता हैं. इसका एक अच्‍छा उदाहरण रामचरित्र मानस हैं।

अथवा

प्रबंध काव्‍य वह काव्‍य रचना कहलाती हैं जिसकी कथा श्रंखलाबद्ध होती हैं। इसके छंदों का संबंध पूर्वापर होता हैं। प्रबंध काव्‍य के दो प्रकार हैं-

  • महाकाव्‍य
  • खण्‍डकाव्‍य

महाकाव्‍य किसे कहते हैं?

महाकाव्‍य वह काव्‍य की रचनाए होती हैं. जिसमें किसी महान व्‍यक्ति के सम्‍पूर्ण जीवन का विवरण होता हैं. महाकाव्‍य के उदाहरण कमायनी, साकेत, रामचरित्र मानस इत्‍यादि हैं।

हिंदी के प्रमुख महाकाव्‍य एवं उनके रचयिता के नाम

रामचरितमानसतुलसीदास
रामचन्द्रिकाकेशवदास
साकेतमैथिलीशरण गुप्‍त
कामायनीजयशंकर प्रसाद
पद्मावतमलिक मुहम्‍मद जायसी

महाकाव्‍य की विशेषताऍं

  • महाकाव्‍य का नायक ऐतिहासिक या पौराणिक होना आवश्‍यक हैं.
  • महाकाव्‍य में नायक के सम्‍पूर्ण जीवन का विवरण होना चाहिए
  • महाकाव्‍य में श्रृंगार, वीर और शांत रस जैसे रसो में से किसी एक रस की प्रधानता होनी आवश्‍यक हैं.
  • महाकाव्‍य में दिन, रात, नदी, पहाड़, झरना के प्राकृतिक दृश्‍यों का सुंदर और स्‍वाभाविक चित्रण होना चाहिए.
  • महाकाव्‍य की रचना में आठ या आठ से अधिक सर्ग होना आवश्‍यक हैं.

खंडकाव्‍य किसे कहते हैं?

यह प्रबंधकाव्‍य की वह रचना हैं जिसमें नायक के सम्‍पूर्ण जीवन का वर्णन नहीं होकर जीवन के किसी एक भाग या खंड का वर्णन होता हैं. खंडकाव्‍य का उदाहरण सुदामा चरित्र, पंचवटी, हल्‍दीघाटी इत्‍यादि हैं।

हिंदी के प्रमुख खण्‍डकाव्‍य एवं उनके रचयिता

सुदामा चरित्रनरोत्तमदास
पंचवटीमैथिलीशरण गुप्‍त
पथिकरामनरेश त्रिपाठी
हल्‍दीघाटीश्‍यामनारायण पाण्‍डेय
कुरूक्षेत्ररामधारी सिंह ‘दिनकर’

खंडकाव्‍य की विशेषताऍं

  • खण्‍डकाव्‍य में जीवन की किसी एक घटना का वर्णन होता हैं।
  • इसमें घटना के माध्‍यम से किसी महान आदर्श की अभिव्‍यक्ति होती हैं।
  • इसका प्रधान रस श्रृंगार, शांत और वीर होता हैं।
  • सम्‍पूर्ण रचना में एक ही छंद का प्रयोग होता हैं।
  • खंडकाव्‍य में सात या इससे कम सर्ग होने आवश्‍यक हैं।

हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्‍य किसे माना जाता हैं?

यदि हम हिंदी का प्रथम प्रबंध काव्‍य किसे माना जाता हैं के बारे में बात करें, तो जानकारी के अनुसार ‘चंदबरदाई’ कृत “प्रथ्‍वीराज रासो” को ही हिंदी का प्रथम महाकाव्‍य माना जाता हैं।

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निष्‍कर्ष

निष्‍कर्ष

तो आप सभी को “Prabandh Kavya – प्रबंध काव्‍य की परिभाषा एवं उनके प्रकार ”के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त हो गई होगी। हमें पूरी उम्‍मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्‍न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्‍ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्‍तों के साथ जरूर शेयर करें।

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