यमक अलंकार – परिभाषा भेद एवं उदाहरण | Yamak Alankar Ki Paribhasha
पाठकों आज हम बात करने वाले हैं यमक अलंकार के बारे में और जानेंगे Yamak Alankar Ki Paribhasha और यमक अलंकार के उदाहरण। दरअसल अलंकारों को उनकी प्रकृति के अनुसार दो भागों शब्दालंकार और अर्थालंकार में विभाजित किया गया हैं। चूँकि यमक अलंकार की प्रकृति शाब्दिक हैं। अत: यह अलंकार शब्दालंकार के अंतर्गत आता हैं।
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यमक अलंकार की परिभाषा (Yamak Alankar ki Paribhasha)
यमक शब्द का अर्थ होता हैं – दों, जब एक ही शब्द ज्यादा बार प्रयोग हो पर हर बार अर्थ अलग-अलग आये वहॉं पर यमक अलंकार होता हैं। अर्थात जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृत्ति होती हैं उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृत्ति होती हैं।
उदाहरण
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।
या खाए बौरात नर या पा बौराय।।
यमक अलंकार के 10 उदाहरण
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।।
इस वाक्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ हैं। प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दूसरे कनक का अर्थ ‘धतूरा’ हैं। अत: ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती हैं।
माला फेरत जग गया, फिरा न मनका फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।।
इस वाक्य में ‘मनका’ शब्द का दो बार प्रयोग किया गया हैं। पहली बार ‘मनका’ का आशय माला के मोती से हैं और दूसरी बार ‘मनका’ से आशय हैं मन की भावनाओं से।
तीन बेर खाती थी वह तीन बेर खाती हैं।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं ‘बेर’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ हैं। पहली बार तीन ‘बेर’ दिन में तीन बार खाने की तरफ संकेत कर रहा हैं तथा दूसरी बार तीन ‘बेर’ का मतलब हैं तीन फल।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी। ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।।
यहॉं पर ऊँचे घोर मंदर शब्दों की दो बार आवृत्ति की जा रही हैं। यहॉं दो बार आवृत्ति होने पर दोनों बार अर्थ भिन्न व्यक्त हो रहा हैं।
जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।
ऊपर दिए गए वाक्य में तारे शब्द की दो बार आवृत्ति हुई हैं। जहॉं पहली बार तारे शब्द का मतलब उदारता से हैं वहीं दूसरी बार तारे शब्द का मतलब आसमान में तारों की बड़ी संख्या से हैं।
यमक अलंकार के 5 उदाहरण
कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी
तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी हे उरबसी सामान।।
बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैंन
हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन।
किसी सोच में हो विभोर सॉंसें कुछ ठंडी खिंची।
फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों ऑंखें मिंची।।
केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन,
जागती जगती की मूक प्यास।
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- उभयालंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
- शब्दालंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
- अर्थालंकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
- अलंकार किसे कहते हैं? प्रकार और उदाहरण
निष्कर्ष
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