कहानी किसे कहते हैं? कहानी की परिभाषा और कहानी के तत्व। Kahani Kise Kahte Hain
प्रिय पाठको! इस आर्टिकल में, इसमें हम पढ़ेंगे कि कहानी किसे कहते हैं? (Kahani kise kahte hain?) साथ ही हम कहानी लेखन के तत्व भी जानेंगे। तो चलिए विस्तार से जानते है कहानी के बारे में-
कहानी किसे कहते हैं? (Kahani Ki Paribhasha)
कहानी गद्य साहित्य की वह सबसे अधिक रोचक एवं लोकप्रिय विधा है, जो जीवन के किसी विशेष पक्ष का मार्मिक, भावनात्मक और कलात्मक वर्णन करती है। “हिन्दी गद्य की वह विधा है जिसमें लेखक किसी घटना, पात्र अथवा समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा देता है, जिसे पढ़कर एक समन्वित प्रभाव उत्पन्न होता है, उसे कहानी कहते हैं।”
अथवा
“कहानी वह विधा है जो लेखक के किसी उद्देश्य किसी एक मनोभाव जैसे उसके चरित्र, उसकी शैली, उसका कथा-विन्यास, सब कुछ उसी एक भाव को पुष्ट करते हैं”
कहानी का आरंभ मनुष्य के जन्म से ही माना जाता है। कहानी उपन्यास की तरह लम्बी नहीं होती हैं, यह किसी महत्वपूर्ण घटना पर आधारित होता है, यह किसी के जीवन का एक घटना पर आधारित होता है।
प्राचीनकाल में प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाऍं, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं।
कुछ महान लेखको द्धारा कहानी किसे कहते हैं?
मुंशी प्रेमचन्द्र जी द्वारा कहानी किसे कहते हैं?- “कहानी वह ध्रुपद की तान है, जिसमें गायक महफिल शुरू होते ही अपनी संपूर्ण प्रतिभा दिखा देता है, एक क्षण में चित्त को इतने माधुर्य से परिपूर्ण कर देता है, जितना रात भर गाना सुनने से भी नहीं हो सकता।”
एडगर एलिन पो द्वारा कहानी किसे कहते हैं?- “कहानी वह छोटी आख्यानात्मक रचना है, जिसे एक बैठक में पढ़ा जा सके, जो पाठक पर एक समन्वित प्रभाव उत्पन्न करने के लिये लिखी गई हो, जिसमें उस प्रभाव को उत्पन्न करने में सहायक तत्वों के अतिरिक्त और कुछ न हो और जो अपने आप में पूर्ण हो।”
कहानी लेखन के प्रकार (Kahani ke Prakar)
कहानी लेखन के कई प्रकार होते हैं जैसे:-
- साहित्यिक कहानियां
- लोकप्रिय कहानियां
- घटना प्रधान कहानियां
- वातावरण प्रधान कहानियां
- मनोविश्लेषणात्मक कहानियां
- चरित्र प्रधान कहानियां
- भाव प्रधान कहानियां
कहानी लेखन के तत्व (Kahani Ke Tatva)
कहानी के कुछ विशेष तत्व होते हैं जो कहानी में रस भरते हैं। कहानी लेखन के 6 तत्व निम्नलिखित हैं-
- कथावस्तु
- चरित्र-चित्रण
- कथोपकथन
- देशकाल
- भाषा-शैली
- उद्देश्य
कथावस्तु
कहानी के ढॉंचे को कथानक अथवा कथावस्तु कहा जाता है, इसे कहानी का केंद्र माना जाता है। इसके अभाव में कहानी की रचना की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसके भी चार अंग होते हैं- आरम्भ, आरोह, चरम स्थिति तथा अवरोह।
चरित्र-चित्रण
कहानी का संचालन उसके पात्रों के द्वारा ही होता है तथा पात्रों के गुण-दोष को उनका ‘चरित्र चित्रण’ कहा जाता है।
कथोपकथन या संवाद
कहानी में संवाद का भी विशेष महत्व है। इनके द्वारा पात्रों के मानसिक अन्तर्द्धन्द एवं अन्य मनोभावों को प्रकट किया जाता है।
देशकाल या वातावरण
किसी कहानी को असरदार बनाने के लिए जरूरी है कि देश काल का पूरा ध्यान रखा जाये, यह कहानी में वास्तविकता लाता है।
भाषा-शैली
कहानी के प्रस्तुतीकरण में कलात्मकता लाने के लिए देशकाल के अनुसार अलग-अलग भाषा व शैली से सजाया जाता है।
उद्देश्य
हर कहानी का अपना एक अलग उद्देश्य होता है, यह केवल मनोरंजन हेतु ही नहीं होता, इससे लोगों को प्रेरणा भी जाती है। धर्म प्रचारक अपने उद्देश्य को लोगों तक पहुँचाने के लिए कहानी का ही सहारा लेते हैं।
हिन्दी के प्रमुख कहानीकार एवं उनकी रचनाऍं
कहानीकार | रचनाऍं |
जयशंकर प्रसाद | पुरस्कार, ऑंधी |
किशोरीलाल गोस्वामी | इंदुमती |
विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ | ताई, रक्षाबंधन |
शिवप्रसाद ‘सितारे हिन्द’ | राजा भोज का सपना |
श्रेष्ठ कहानी की विशेषताऍं-
श्रेष्ठ कहानी की निम्नलिखित विशेषताऍं होती हैं-
- कहानी एक कथात्मक संक्षिप्त गद्य रचना है, अर्थात कहानी आकार में छोटी होती है जिसमें कथातत्व की प्रधानता होती है।
- कहानी में ‘प्रभावान्विति’ होती है अर्थात् कहानी में विषय के एकत्व प्रभावों की एकता का होना भी बहुत आवश्यक है।
- कहानी ऐसी हो, जिसे बीस मिनट, एक घण्टा या एक बैठक में पढ़ा जा सके।
- कौतूहल और मनोरंजन कहानी का आवश्यक गुण है।
- कहानी में जीवन का यर्थाथ होता है, वह यर्थाथ जो कल्पित होते हुए भी सच्चा लगे।
- कहानी में जीवन के एक तथ्य का, एक संवेदना अथवा एक स्थिति का प्रभावपूर्ण चित्रण होता है।
- कहानी अपने आप में पूर्ण होती है।
- कहानी में प्रेरणा बिन्दू का विस्तार होता है।
- कहानी की रूपरेखा पूर्णत: स्पष्ट और सन्तुलित होती है।
- कहानी में एक मूल भावना का विस्तार आख्यानात्मक शैली में होता है।
कहानी और उपन्यास में अन्तर
कहानी और उपन्यास में अन्तर निम्नलिखित हैं-
- कहानी जीवन की किसी एक घटना पर लिखी जाती है, जबकि उपन्यास सम्पूर्ण जीवन को लक्ष्य बनाकर लिखा जाता है।
- कहानी का आकार छोटा होता है, जबकि उपन्यास का आकार बड़ा होता है।
- कहानी में जिज्ञासा अधिक होती है, जबकि उपन्यास में जिज्ञासा कहानी की अपेक्षाकृत कम होती है।
- कहानी में पात्रों की संख्या कम होती है, जबकि उपन्यास में पात्रों की संख्या अधिक होती है।
कहानी लेखन: कहानी कैसे लिखे?
जिस विषय पर कहानी लेखन करना हो, उस पर पर्याप्त चिन्तन-मनन कर लेना चाहिए और विचारो को व्यवस्थित क्रम देने के लिए उसकी एक संक्षिपत रूपरेखा भी बना लेनी चाहिए।
- विषय-वस्तु का प्रतिपादन रूपरेखा के अनुरूप करने से उसमें सुसम्बद्धता एवं कसावट आ जाती हैं।
- कहानी लेखक को सरसता का समावेश भी कना चाहिए अन्यथा वह एक तथ्य प्रधान विवरण मात्र रह जाएगा।
- कहानी की भाषा यथा संभव सरल सहज एवं प्रवाहपूर्ण रहनी चाहिए।
- लेखन के समय कठिन, कृत्रिम एवं आलंकारिक भाषा से यथासम्भव बचना चाहिए।
- दुरूह वाक्य रचना एवं बोझिल भाषा से कहानी का सौन्दर्य एवं सौष्ठव नष्ट हो जाता हैं।
- कहानी लेखक को अपने विषय पर केन्द्रित रहना चाहिए तभी उसका प्रभाव उचित रूप से पड़ता हैं।
- एक सूत्रता भंग होने से कहानी बोझिल हो जाती हैं और उसमें पूर्णता नहीं आ पाती।
FAQ:
कहानी की परिभाषा क्या हैं?
“कहानी वह विधा है जो लेखक के किसी उद्देश्य किसी एक मनोभाव जैसे उसके चरित्र, उसकी शैली, उसका कथा-विन्यास, सब कुछ उसी एक भाव को पुष्ट करते हैं”
कहानी के मुख्यत: कितने तत्व होते हैं?
कहानी के कुछ विशेष तत्व होते हैं जो कहानी में रस भरते हैं। कहानी लेखन के 6 तत्व निम्नलिखित हैं- 1. कथावस्तु 2. चरित्र-चित्रण 3. कथोपकथन या संवद 4. देशकाल या वातावरण 5. भाषा शैली 6. उद्देश्य।
इन्हें भी पढ़ें
- काव्य किसे कहते हैं? परिभाषा एवं भेद
- आत्मकथा किसे कहते हैं? परिभाषा एवं भेद
- जीवनी क्या होती हैं? इसकी परिभाषा और गुण
- उपन्यास के तत्वों की विवेचना कीजिए
निष्कर्ष
हमें पूरी उम्मीद हैं कि आपको हमारे द्धारा लिखा गया यह लेख कहानी किसे कहते हैं? कहानी के तत्व जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख पसंद आया हैं तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ।
Good 👍🏻